आईपीसी धारा का मतलब - सभी धाराओं की लिस्ट - IPC DHARA

आईपीसी धारा का मतलब - सभी धाराओं की लिस्ट - IPC DHARA LIST PDF कानूनी धारा लिस्ट PDF Download आईपीसी की धाराएं पुलिस की धारा कितनी होती है
IPC DHARA LIST PDF IN HINDI कानूनी धारा लिस्ट PDF Download आईपीसी की धाराएं पुलिस की धारा कितनी होती है

भारतीय समाज को क़ानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षता में भारतीय दंड संहिता IPC बनाई गई थी इस संहिता में विभिन्न अपराधों को सूचीबद्ध कर उस में गिरफ्तारी और सजा का उल्लेख किया गया है।

आईपीसी धारा का मतलब - सभी धाराओं की लिस्ट - IPC DHARA

इस में कुल मिला कर 511 धाराएं हैं। कुछ खास धाराएं निम्न है आगे जाने भारतीय संविधान में IPC धाराओं का मतलब. कानूनी धारा कितने प्रकार की होती है

IPC धाराओ का मतलब  धारा कितनी होती है कानूनी धारा लिस्ट इन हिंदी.

IPC धाराओं का मतलब हिंदी में

  • धारा 309 का मतलब आत्महत्या की कोशिश
  • धारा 310 का मतलब ठगी करना
  • धारा 312 का मतलब गर्भपात करना
  • धारा 351 का मतलब हमला करना
  • धारा 354 का मतलब स्त्री लज्जाभंग
  • धारा 362 का मतलब अपहरण
  • धारा 415 का मतलब छल करना
  • धारा 445 का मतलब गृहभेदंन
  • धारा 494 का मतलब पति/पत्नी के जीवनकाल में पुनःविवाह0
  • धारा 499 का मतलब मानहानि
  • धारा 511 का मतलब आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड
  • धारा 307 का मतलब हत्या की कोशिश 
  • धारा 302 मतलब हत्या का दंड
  • धारा 376 का मतलब बलात्कार
  • धारा 395 का मतलब डकैती
  • धारा 377 का मतलब अप्राकृतिक कृत्य
  • धारा 396 का मतलब डकैती के दौरान हत्या
  • धारा 120 का मतलब षडयंत्र रचना
  • धारा 365 का मतलब अपहरण
  • धारा 201 का मतलब सबूत मिटाना
  • धारा 34 का मतलबसामान आशय
  • धारा 412 का मतलब छीनाझपटी
  • धारा 378 का मतलब चोरी
  • धारा 141 का मतलब विधिविरुद्ध जमाव
  • धारा 191 का मतलब मिथ्यासाक्ष्य देना
  • धारा 300 का मतलब हत्या करना

कानूनी धारा लिस्ट

कानूनी धारा लिस्ट PDF Download : भारत में कानूनी धाराएं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 और अन्य कानूनों के तहत होती हैं। कुछ मुख्य धाराएं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में शामिल हैं:
  • धारा 1 - संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार
  • धारा 2 - भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड।
  • धारा 3 - भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड।
  • धारा 4 - राज्यक्षेत्रातीत / अपर देशीय अपराधों पर संहिता का विस्तार।
  • धारा 5 - कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना।
  • धारा 6 - संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना।
  • धारा 7 - एक बार स्पष्टीकॄत वाक्यांश का अभिप्राय।
  • धारा 8 - लिंग
  • धारा 9 - वचन
  • धारा 10 - पुरुष। स्त्री।
  • धारा 11 - व्यक्ति
  • धारा 12 - जनता / जन सामान्य
  • धारा 13 - क्वीन की परिभाषा
  • धारा 14 - सरकार का सेवक।
  • धारा 15 - ब्रिटिश इण्डिया की परिभाषा
  • धारा 16 - गवर्नमेंट आफ इण्डिया की परिभाषा
  • धारा 17 - सरकार।
  • धारा 18 - भारत
  • धारा 19 - न्यायाधीश।
  • धारा 20 - न्यायालय

आईपीसी की धाराएं

  • धारा 21 - लोक सेवक
  • धारा 22 - चल सम्पत्ति।
  • धारा 23 - सदोष अभिलाभ / हानि।
  • धारा 24 - बेईमानी करना।
  • धारा 25 - कपटपूर्वक
  • धारा 26 - विश्वास करने का कारण।
  • धारा 27 - पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति।
  • धारा 28 - कूटकरण।
  • धारा 29 - दस्तावेज।
  • धारा 30 - मूल्यवान प्रतिभूति।
  • धारा 31 - बिल
  • धारा 32 - कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप शामिल है।
  • धारा 33 - कार्य
  • धारा 34 - सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य
  • धारा 35 - जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है
  • धारा 36 - अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम।
  • धारा 37 - कई कार्यों में से किसी एक कार्य को करके अपराध गठित करने में सहयोग करना।
  • धारा 38 - आपराधिक कार्य में संपॄक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
  • धारा 39 - स्वेच्छया।
  • धारा 40 - अपराध।

IPC DHARA LIST PDF

  • धारा 41 - विशेष विधि।
  • धारा 42 - स्थानीय विधि
  • धारा 43 - अवैध
  • धारा 44 - क्षति
  • धारा 45 - जीवन
  • धारा 46 - मॄत्यु
  • धारा 47 - जीवजन्तु
  • धारा 48 - जलयान
  • धारा 49 - वर्ष या मास
  • धारा 50 - धारा
  • धारा 51 - शपथ।
  • धारा 52 - सद्भावपूर्वक।
  • धारा 53 - दण्ड।
  • धारा 54 - मॄत्यु दण्डादेश का रूपांतरण।
  • धारा 55 - आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
  • धारा 56 - य़ूरोपियों तथा अमरीकियों को दण्ड दासता की सजा।
  • धारा 57 - दण्डावधियों की भिन्नें
  • धारा 58 - निर्वासन से दण्डादिष्ट अपराधियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए जब तक वे निर्वासित न कर दिए जाएं
  • धारा 59 - कारावास के बदले निर्वासनट
  • धारा 60 - दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में सम्पूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा।

भारतीय कानून की धाराएं

  • धारा 61 - सम्पत्ति के समपहरण का दण्डादेश।
  • धारा 62 - मॄत्यु, निर्वासन या कारावास से दण्डनीय अपराधियों की बाबत सम्पत्ति का समपहरण 
  • धारा 63 - आर्थिक दण्ड/जुर्माने की रकम।
  • धारा 64 - जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेशधारा
  • जब कि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि
  • धारा 66 - जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाए।
  • धारा 67 - आर्थिक दण्ड न चुकाने पर कारावास, जबकि अपराध केवल आर्थिक दण्ड से दण्डनीय हो।
  • धारा 68 - आर्थिक दण्ड के भुगतान पर कारावास का समाप्त हो जाना।
  • धारा 69 - जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिए जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
  • धारा 70 - जुर्माने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान वसूल किया जाना। मॄत्यु सम्पत्ति को दायित्व से उन्मुक्त नहीं करती।
  • धारा 71 - कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि।
  • धारा 72 - कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
  • धारा 73 - एकांत परिरोध
  • धारा 74 - एकांत परिरोध की अवधि
  • धारा 75 - पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन कतिपय अपराधों के लिए वर्धित दण्ड
  • धारा 76 - विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप के विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य।
  • धारा 77 - न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य
  • धारा 78 - न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
  • धारा 79 - विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
  • धारा 80 - विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना।
  • धारा 81 - आपराधिक आशय के बिना और अन्य क्षति के निवारण के लिए किया गया कार्य जिससे क्षति कारित होना संभाव्य है।
  • धारा 82 - सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य।
  • धारा 83 - सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
  • धारा 84 - विकॄतचित व्यक्ति का कार्य।
  • धारा 85 - ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
  • धारा 86 - किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
  • धारा 87 - सम्मति से किया गया कार्य जिससे मॄत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय न हो और न उसकी संभाव्यता का ज्ञान हो
  • धारा 88 - किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति से सद््भावपूर्वक किया गया कार्य जिससे मॄत्यु कारित करने का आशय नहीं है
  • धारा 89 - संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद््भावपूर्वक किया गया कार्य
  • धारा 90 - सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है
  • धारा 91 - ऐसे अपवादित कार्य जो कारित क्षति के बिना भी स्वतः अपराध है।
  • धारा 92 - सहमति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य।
  • धारा 93 - सद््भावपूर्वक दी गई संसूचना
    धारा 94 - वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है
  • धारा 95 - तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
  • धारा 96 - प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें
  • धारा 97 - शरीर तथा संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार।
  • धारा 98 - ऐसे व्यक्ति के कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकॄतचित्त आदि हो
  • धारा 99 - कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है
  • धारा 100 - किसी की मॄत्यु कारित करने पर शरीर की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब लागू होता है।

आईपीसी धारा का मतलब - सभी धाराओं की लिस्ट - IPC DHARA

  • धारा 101 - मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने के अधिकार का विस्तार कब होता है।
  • धारा 102 - शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना।
  • धारा 103 - कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मॄत्यु कारित करने तक का होता है
  • धारा 104 - मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है।
  • धारा 105 - सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना
  • धारा 106 - घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जब कि निर्दोष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
  • धारा 107 - किसी बात का दुष्प्रेरण
  • धारा 108 - दुष्प्रेरक।
  • धारा 108क - भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
  • धारा 109 - अपराध के लिए उकसाने के लिए दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
  • धारा 110 - दुष्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है।
  • धारा 111 - दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है।
  • धारा 112 - दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है
  • धारा 113 - दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो।
  • धारा 114 - अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति।
  • धारा 115 - मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण - यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता।
  • धारा 116 - कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण - यदि अपराध न किया जाए।
  • धारा 117 - सामान्य जन या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण।
  • धारा 118 - मॄत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
  • धारा 119 - किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है
  • धारा 120 - कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना।
  • धारा 120क - आपराधिक षड््यंत्र की परिभाषा
  • धारा 120ख - आपराधिक षड््यंत्र का दंड
  • धारा 121 - भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना।
  • धारा 121क - धारा 121 द्वारा दंडनीय अपराधों को करने का षड््यंत्र
  • धारा 122 - भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रहित करना।
  • धारा 123 - युद्ध करने की परिकल्पना को सुगम बनाने के आशय से छिपाना।
  • धारा 124 - किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोधित करने के आशय से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
  • धारा 124क - राजद्रोह
  • धारा 125 - भारत सरकार से मैत्री संबंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरुद्ध युद्ध करना
  • धारा 126 - भारत सरकार के साथ शांति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्यक्षेत्र में लूटपाट करना।
  • धारा 127 - धारा 125 और 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट द्वारा ली गई सम्पत्ति प्राप्त करना।
  • धारा 128 - लोक सेवक का स्वेच्छया राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना।
  • धारा 129 - लोक सेवक का उपेक्षा से किसी कैदी का निकल भागना सहन करना।
  • धारा 130 - ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुड़ाना या संश्रय देना
  • धारा 131 - विद्रोह का दुष्प्रेरण या किसी सैनिक, नौसेनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
  • धारा 132 - विद्रोह का दुष्प्रेरण यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।
  • धारा 133 - सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।
  • धारा 134 - हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।
  • धारा 135 - सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण।
  • धारा 136 - अभित्याजक को संश्रय देना
  • धारा 137 - मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजक
    धारा 138 - सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण।
  • धारा 138क - पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना
  • धारा 139 - कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति।
  • धारा 140 - सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना।
  • धारा 141 - विधिविरुद्ध जनसमूह।
  • धारा 142 - विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना।
  • धारा 143 - गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंड
  • धारा 144 - घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना।
  • धारा 145 - किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना
  • धारा 146 - उपद्रव करना।
  • धारा 147 - बल्वा करने के लिए दंड
  • धारा 148 - घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना।
  • धारा 149 - विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी।
  • धारा 150 - विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना।
  • धारा 151 - पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहना
  • धारा 152 - लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना।
  • धारा 153 - उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना
  • धारा 153क - धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।
  • धारा 153ख - राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान--(
  • धारा 154 - उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर ग़ैरक़ानूनी जनसमूह एकत्रित हो
  • धारा 155 - व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्व
  • धारा 156 - उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता है
  • धारा 157 - विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना।
  • धारा 158 - विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जाना
  • धारा 159 - दंगा
  • धारा 160 - उपद्रव करने के लिए दण्ड।
  • धारा 161 से 165 - लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में
  • धारा 166 - लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।
  • धारा 166क - कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवक
  • धारा 166ख - अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचार
  • धारा 167 - लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।
  • धारा 168 - लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता है
  • धारा 169 - लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।
  • धारा 170 - लोक सेवक का प्रतिरूपण।
  • धारा 171 - कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।
  • धारा 171क - अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषित
  • धारा 171ख - रिश्वत
  • धारा 171ग - निर्वाचनों में असम्यक्् असर डालना
  • धारा 171घ - निर्वाचनों में प्रतिरूपण
  • धारा 171ङ - रिश्वत के लिए दण्ड
  • धारा 171च - निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड
  • धारा 171छ - निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन
  • धारा 171ज - निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय
  • धारा 171झ - निर्वाचन लेखा रखने में असफलता
  • धारा 172 - समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
  • धारा 173 - समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना।
  • धारा 174 - लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना
  • धारा 175 - दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को 1[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने का लोप
  • धारा 176 - सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।
  • धारा 177 - झूठी सूचना देना।
  • धारा 178 - शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए
  • धारा 179 - प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना।
  • धारा 180 - कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकार
  • धारा 181 - शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।
  • धारा 182 - लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देना
  • धारा 183 - लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध
  • धारा 184 - लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।
  • धारा 185 - लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।
  • धारा 186 - लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।
  • धारा 187 - लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो
  • धारा 188 - लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।
  • धारा 189 - लोक सेवक को क्षति करने की धमकी
  • धारा 190 - लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी।
  • धारा 191 - झूठा साक्ष्य देना।
  • धारा 192 - झूठा साक्ष्य गढ़ना।
  • धारा 193 - मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड
  • धारा 194 - मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना।
  • धारा 195 - आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना
  • धारा 196 - उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है
  • धारा 197 - मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना
  • धारा 198 - प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना।
  • धारा 199 - विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन।
  • धारा 200 - ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना।
  • धारा 201 - अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना।
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